छुट्टी का दिन था। अच्छी धूप खिल रही थी। गार्डन में मेज पर, चाय का एक कप रखा है। उस चाय की चुस्कियों का आनंद लेते हुए, कंचन के पापा, अखबार पढ़ रहे हैं। कंचन वहीं, पास में बैठकर पढ़ाई कर रही थी। और आनंद खेल रहा था। अचानक, उन दोनों में, किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया। जोर-जोर से चिल्लाने लगे। एक-दूसरे को मारने लगे। उनके पापा ने, उन्हें शांत किया। लेकिन वो ये देखकर, बहुत निराश हुए। वो, घर के अंदर गए और 2 हीरे साथ लेकर, वापस लौटे। उन्होंने, हीरों को, धूप में, मेज पर रख दिया। कुछ देर बाद, उन्होंने, बच्चों को कहा- इसमें से एक हीरा, नकली है। तुम्हें बताना है कि कौन सा हीरा असली है।
दोनों ने, बारी-बारी उन हारों को चेक किया, लेकिन उन्हें पता नहीं चला कि कौन सा हीरा नकली है, क्योंकि देखने में, दोनों एक जैसे थे। तब उनके पापा ने, एक हीरा उठाया, और कहा- ये नकली है। बच्चे पूछने लगे, ये दोंनों एक जैसे हैं, आपको कैसे पता चला कि कौन सा असली है। उन्होंने जवाब दिया- जो कांच का नकली हीरा है, वो इस धूप में, गर्म हो गया है। तुम्हें भी, इस असली हीरे की तरह बनना है, जो विषम परिस्थितियों में भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता। हर छोटी-छोटी बात पर, गुस्सा करने वाले लोग, अपने जीवन में कांच की तरह, आसानी से टूट जाते हैं। और हिम्मत हार जाते हैं। अपने दिमाग को हमेशा शांत रखें। धीरज से काम लें, क्योंकि जो विपरीत परिस्थितियों में, अपनी ठंडक बनाए रखता है, वही असली हीरा है।